Jcert Class 8 भाषा मंजरी Chapter 13 हुंडरू का जल-प्रपात Solutions

अध्याय - 13 : हुंडरू का जल-प्रपात

1. 'छोटानागपुर स्वर्ग का एक टुकड़ा है।' कैसे?
उ. लेखक ने छोटानागपुर जो वर्तमान में झारखंड है, की तुलना स्वर्ग से करते हुए कहा है कि छोटानागपुर स्वर्ग का एक टुकड़ा है। वास्तव में ईश्वर ने झारखंड को प्राकृतिक रूप से अत्यंत सौंदर्यशाली एवं समृद्ध बनाया है यहाँ के आदिवासी सदैव आनंद के वातावरण में निमग्न रहते हैं। नृत्य और मादक गीतों से यहाँ के पहाड़, जंगल और मैदान गूंजते रहते हैं। विविध पक्षियों के चहकने से वातावरण गुलजार है। यहाँ की जलवायु स्वास्थ्यवर्द्धक है जिससे आदिवासी सदैव स्वस्थ रहते हैं। नदियाँ अपने किनारे पर रहनेवाले लोगों को अमृत बाँटती हैं। झरने मन को स्वच्छता और पवित्रता प्रदान करते हैं । खानों में कोयला और अबरक; जंगल में तरह तरह की लकड़ी, फल-फूल आदि झारखंड का कोष भर रहे हैं। समग्रतः छोटानागपुर स्वर्ग का एक टुकड़ा प्रतीत होता है।

2. हुंडरू जल-प्रपात की विशेषता लिखिए।
उ. झारखंड का हंडरू जल प्रपात अद्वितीय है। इसकी प्राकृतिक सुषमा निराली है। यह 243 फुट की ऊँचाई से नीचे गिरता है। उजला पानी ऐसा प्रतीत होता है कि पानी के चक्कर और भंवर में पीसकर पत्थर का सफेद चूर्ण गिर रहा है। चारों ओर 1. जंगल और पहाड़ के बीच में स्थित यह हंडरू का जलप्रपात अपनी चपलता के चलते मशहूर है। हुंडरू का पानी कहीं साँप की तरह चक्कर काटता है, कहीं हरिण की तरह छलांग भरता है और कहीं बाघ की तरह गरजता हुआ नीचे गिरता है। सारा पानी एक जगह सिमटकर जहाँ नीचे गिरता है, उस जगह इसका रूप बहुत विशाल और भयंकर हो गया है। उस जगह हाथी भी जाए तो धारा के साथ कहाँ चला जाए, इसका पता मिलना मुश्किल है। इसके बाद धीरे-धीरे मंथर गति से इसका पानी नदी के रूप में है जिसको देखने के लिए दिन-रात दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है।

3. पाठ में एक दृश्य का वर्णन दो तरह से किया गया है 
(क) हुंडरू का पानी कहीं साँप की तरह चक्कर काटता है, कहीं हरिण की तरह छलाँग भरता है और कहीं बाघ की तरह गरजता हुआ नीचे गिरता है।
(ख) हुंडरू का पानी चक्कर काटकर, छलाँग भरता हुआ नीचे गिरता है।

इनमें से कौन-सा वर्णन आपको अच्छा लगता है और क्यों? 

उ. 

4. लेखक ने पाठ में किस किंवदंती की बात की है और क्या सलाह दी है?
उ. लेखक ने पाठ में कहा है कि किवंदती के अनुसार इस हुंडरू से सात मील पर कुछ लोगों ने एक प्रपात देखा है जो इससे कई गुण बड़ा है; पर वहाँ जाने का रास्ता इतना बीहड़, घनघोर और भयंकर है कि जंगल के उस भाग में पहुंच सकना दुश्वार है। लेखक ने सलाह दी है कि अगर बात सही है, तो जंगल विभाग को उसका ठीक से पता लगाकर वहाँ तक मार्ग का निर्माण कर देना चाहिए, जिससे वह प्रपात भी जनता के सामने आ सके।

5. 'एक ओर पृथ्वी अपने कोष को उगल रही है, तो वह कोयला बनकर लोगों के घरों में सोना ला रहा है।' – भाव स्पष्ट कीजिए। 
उ. इस पंक्ति के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि झारखंड की धरती खनिज संसाधनों से समृद्ध है। लोहा, बॉक्साइट, अभरक, ताँबा, चूना-पत्थर आदि से तो झारखंड का खजाना भर ही रहा है साथ ही साथ ही कोयले की यहाँ इतनी प्रचुरता है कि उसके माध्यम से लोग भी सुखी-सम्पन्न हो रहे हैं। 

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