Jcert Class 8 भाषा मंजरी Chapter 4 पथ की पहचान Solutions

अध्याय - 4 : पथ की पहचान

1. 'पथ की पहचान' कविता में कवि ने पथ पर चलने से पहले क्या करने को कहा है?
उ. 'पथ की पहचान' कविता में कवि ने पथ पर चलने से पहले अपने पथ की पहचान करने को कहा है।

2. पथ पर क्या छोड़ गए हैं?
उ. कविता के अनुसार अनगिनत राही इस पथ पर अपने पैरों के निशान अर्थात् सफलता के चिन्ह छोड़ गए हैं।

3. पथ की पहचान किस प्रकार की जा सकती है?
उ. हम पथ की पहचान मार्ग में आने वाले विघ्न-बाधाओं का सावधानीपूर्वक अनुमान लगाकर तथा अपने पूर्वगामी के अनुभवों को मार्गदर्शक समझकर, कर सकते हैं।

4. यात्रा को सरल बनाने के लिए कवि ने क्या सुझाव दिया है?
उ. यात्रा को सरल बनाने के लिए कवि ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। कवि का कहना है कि अच्छा या बुरा में उलझकर समय गँवाना उचित नहीं है। यदि पथ असंभव प्रतीत हो तो उस पथ को छोड़कर नये पथ तलाशकर आगे बढ़ना चाहिए। उत्साहपूर्वक नए पथ पर बढ़ने से यात्रा आसान हो जाती है।

5. कविता के आधार पर बताएँ कि यात्रा में कौन-सी चीजें अनिश्चित हैं?
उ. यात्रा में नदी, पहाड़, गड्ढा, बाग, बगीचा, फूल, काँटे आदि तो अनिश्चित है ही, साथ तो यह भी अनिश्चित है कि यात्रा कब खत्म होगी।

6. कवि ने स्वप्न पर मुग्ध होने से मना क्यों किया है?
उ. कवि ने स्वप्न पर मुग्ध होने से मना किया है क्योंकि स्वप्न सुन्दर एवं मोहक होते हैं, परंतु इन स्वप्नों को पूरा करने का मार्ग अत्यंत कठिन होता है। जीवन में स्वप्नों के मुकाबले यथार्थ जीवन अधिक होते हैं।

7. कवि ने पाँव पृथ्वी पर टिकाए रखने की बात क्यों की है?
उ. कवि ने पाँव पृथ्वी पर टिकाए रखने की बात इसलिए की है क्योंकि सपनों की उड़ान को सत्य करने के लिए यथार्थ के धरातल पर कठिन परिश्रम करने पड़ते हैं।

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