Jcert Class 8 भाषा मंजरी Chapter 9 क्या निराश हुआ जाए Solutions

अध्याय - 9 : क्या निराश हुआ जाए

1. लेखक ऐसा क्यों कहता है कि हर व्यक्ति संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है?
उ. लेखक का कहना है कि हर व्यक्ति संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है, क्योंकि आज समाज में आरोप-प्रत्यारोप का कुछ ऐसा वातावरण बन गया है के जैसे देश में कोई ईमानदार आदमी ही नहीं रह गया है। जो जितने ऊँचे पद पर हैं उनमें उतने ही अधिक दोष खोजकर दिखाए जा रहे हैं, जैसे इनमें कोई गुण ही न हो।

2. लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है, फिर भी वह निराश नहीं है। आपके विचार से इसका क्या कारण हो सकता है?
उ. लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है, फिर भी यह निराश नहीं है। इसका कारण यह है कि उसके जीवन में ऐसी भी बहुत घटनाएँ घटी हैं जब लोगों ने बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की सहायता की है, निराश मन को ढाढस दिया है और हिम्मत बँचाई है। उसे विश्वास है कि समाज में मानवता, प्रेम, आपसी सहयोग कभी समाप्त नहीं हो सकते।

3. जीवन के महान मूल्यों के बारे में लोगों की आस्था क्यों हिलने लगी है?
उ. जीवन के महान मूल्यों के बारे में लोगों की आस्था क्यों हिलने लगी है क्योंकि ईमानदारी से मेहनत करके जीविका चलानेवाले निरीह और भोले-भाले लोग पीस रहे हैं और झूठ तथा धोखे का रोजगार करनेवाले फल-फूल रहे हैं। ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है, सच्चाई केवल भीरू और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।

4. किन बातों से पता चलता है। एवं आध्यात्मिकता के मूल्य दब गए हैं?
उ. भारत में आज भी अधिकांश लोगों में सेवा, ईमानदारी सच्चाई और आध्यात्मिकता के प्रति लगाव है। समाज के उच्च वर्ग को यदि छोड़ दिया जाए तो आज भी भारत में मनुष्य मात्र के प्रति प्रेम, महिलाओं को सम्मान झूठ और चोरी को गलत समझना आदि मूल्य विद्यमान हैं, वे दब अवश्य गए हैं किंतु समाप्त नहीं हुए हैं।

5. किसी एक घटना का वर्णन कीजिए जिससे लेखक को यह पता चलता है कि दुनिया से सच्चाई और ईमानदारी लुप्त नहीं हुई है?
उ. लेखक के जीवन में ऐसी बहुत सी घटनाएँ घटी जिससे यह पता चलता है कि दुनिया से सच्चाई और ईमानदारी लुप्त नहीं हुई है। इनमें से एक घटना तब घटी जब लेखक रेलवे स्टेशन पर टिकट लेते हुए गलती से दस के बजाय सौ रुपये का नोट दिया और जल्दी जल्दी गाड़ी में आकर बैठ गया। थोड़ी देर में टिकट बाबू उन दिनों के सेकंड क्लास के डिब्बे में हर आदमी का चेहरा पहचानता हुआ उपस्थित हुआ। उसने लेखक को पहचान लिया और बड़ी विनम्रता के साथ उनके हाथ में नब्बे रुपये रख दिए और बोले, "यह बहुत बडी गलती हो गई थी। आपने भी नहीं देखा, मैंने भी नहीं देखा। उसके चेहरे पर विचित्र संतोष की गरिमा थी।

6. कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अपने प्रार्थना गीत में ईश्वर से क्या प्रार्थना की है?उ. कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अपने प्रार्थना गीत में ईश्वर से यह प्रार्थना की है कि यदि संसार में केवल नुकसान ही उठाना पड़े धोखा ही खाना पड़े तो ऐसे अवसर में भी हे प्रभो! शक्ति देना कि मैं तुम्हारे ऊपर संदेह न करूँ।

7. दोषों का पर्दाफाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?
उ. जब कोई व्यक्ति हर समय दूसरों के दोषों और अवगुणों का बखान करता रहता है तब लोग उसे भी गलत समझने लगते हैं। उस समय लोगों का पर्दाफाश करना बुरा रूप ले सकता है, जब कोई व्यक्ति किसी महफिल या विद्वानों की सभा में दूसरे लोगों की आलोचना करता है।

8. लेखक दोषों का पर्दाफाश करते किस बात से बचने के लिए कहता है?
उ. लेखक दोषों का पर्दाफाश करना बुरा नहीं मानता पर किसी के दोषों का पर्दाफाश करते समय हम उसमें रस लेने लगते हैं और उसके दोषों का उद्घाटन करना ही अपना एकमात्र कर्तव्य मान लेते हैं जो सवर्था अनुचित अतः लेखक दोषों का पर्दाफाश करते समय उनके उद्घाटन में रस लेने से बचने के लिए कहता है क्योंकि बुराई में रस लेना ठीक नहीं।

Comments