Jcert Class 6 भाषा मंजरी Chapter 7 दोहे Solutions

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By: Team, Chandan Kr Verma

अध्याय - 7: दोहे

1. 'माला फेरत युग भया, मिटा न मन का फेर.
कर का मनका छाडि कै मन का मनका फेर।'
इस दोहे का भाव स्पष्ट कीजिए।
उ. प्रस्तुत दोहे का तात्पर्य यह है कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए उनके नाम की माला फेरते-फेरते युग बीत जाते हैं किंतु मन में व्याप्त इच्छा, लालसा, अभिलाषा, माया, मोह आदि समाप्त नहीं होते। ऐसे ईश्वर का नाम लेने से क्या लाभ? उचित तो यह है कि अपने मन में व्याप्त विकारों को दूर करने का प्रयास किया जाए।

2. कवि वृंद के अनुसार भले-बुरे की पहचान कब होती है?
उ. कवि वृंद के अनुसार भले-बुरे की पहचान समय आने पर उनके कार्यों से होती है। 

3. रहीम ने अपने दोहे में ऐसा क्यों कहा है कि किसी से कुछ नहीं माँगना चाहिए ?
उ. रहीम के अनुसार व्यक्ति को किसी से कुछ नहीं माँगना चाहिए, क्योंकि माँगने से व्यक्ति की इज्जत, आदर और स्नेह समाप्त हो जाते हैं।

4. कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि किसी भी चीज तुच्छ नहीं समझना चाहिए ?
उ. किसी भी चीज को तुच्छ नहीं समझना चाहिए- कबीर ने ऐसा इसलिए कहा है कि पाँव के नीचे पड़ा तिनका यदि उड़कर आँखें में जाए तो अत्यंत पीड़ादायक प्रतीत होता है।

5. रहीम ने दीपक और कपूर को क्यों बताया है ?
उ. रहीम ने दीपक और कपूर को क जैसा इसलिए बताया है क्योंकि दोनों आरंभ में तो उजाला करते हैं किंतु बढ़ने के -साथ अंधेरा करने लगते हैं।

6. "सबै सहायक सबल के. कोउ न निबल सहाय।
पवन जगावत् आग को, दीपहिं देत बुझाय।।"
इस दोहे को भाव स्पष्ट करें।
उ. प्रस्तुत पंक्तियों का भाव यह है कि शक्तिशाली व्यक्ति की सभी सहायता करना चाहते हैं, जबकि शक्तिहीन की सहायता कोई नहीं करना चाहता है। ठीक उसी प्रकार जैसे हवा भी शक्तिशाली आग को तो तीव्र करती है किंतु अपेक्षाकृत शक्तिहीन दीपक को अपने झोंके से बुझा देती है।

Comments

  1. Replies
    1. पृथ्वी के गर्भ से धातुओं, अयस्कों, औद्योगिक तथा अन्य उपयोगी खनिजों को बाहर निकालना खनिकर्म या खनन (mining) हैं।

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