Jcert Class 8 आधुनिक भारत Chapter 3: ग्रामीण जीवन एवं समाज Solutions

अध्याय - 3 : ग्रामीण जीवन एवं समाज

1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

(क) ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल की दीवानी ............. में मिली।
उ. 12 अगस्त 1765 ई.

(ख) स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था ................ ने लागू की।
उ. लॉर्ड कार्नवालिस

(ग) महालवाड़ी व्यवस्था की रूपरेखा ............ ने तैयार की थी।
उ. होल्ट मैकेंजी

(घ) टॉमस मुनरो ने ..............व्यवस्था .................. में लागू की थी।
उ. रैयतवाड़ी, मद्रास और बम्बई

(ङ) नील विद्रोह की शुरुआत बंगाल के ............... जिले में हुई थी।
उ. नदिया

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें।

(क) रैयतवाड़ी व्यवस्था कहाँ एवं किसके द्वारा लागू की गई थी?
उ. रैयतवाड़ी व्यवस्था को मद्रास और बम्बई के अधिकतर भागों में टॉमस मुनरो के द्वारा लागू की गई थी।

(ख) निज खेती व्यवस्था के तहत् नील की खेती कैसे होती थी?
उ. निज खेती व्यवस्था के तहत् निज बगान मालिक अपनी जमीन पर नील का उत्पादन कराते थे। जमीन कम पड़ने पर वे दूसरे जमींदारों से जमीन भाड़े पर लेकर उसमें नील की खेती मजदूरों द्वारा कराते थे।

(ग) बगान मालिक और किसानों के बीच होने वाले अनुबंध में क्या शर्ते रहती थी?
उ. बगान मालिका और किसानों के बीच होने वाले अनुबंध में बगान मालिक किसानों को नील के उत्पादन के लिए कम ब्याज दर पर कर्ज देते थे। रैयतों को अपनी जमीन के एक-चौथाई हिस्से में नील की खेती करनी पड़ती थी। किसान फसल उत्पादन के बाद उसे बगान मालिक को सौंप देते थे।

(घ) रैयतवाड़ी व्यवस्था को दक्षिण भारत में क्यों शुरू किया गया था?
उ. रैयतवाड़ी व्यवस्था को दक्षिण भारत में इसलिए शुरू किया गया था क्योंकि उस इलाके में बड़े जमींदार नहीं थे।

(ङ) युरोपीय बाजारों में भारतीय नील की माँग क्यों थी?
उ. युरोपीय बाजारों में भारतीय नील की बहुत माँग थी और इसकी कीमत भी काफी ऊँची थी। इसका प्रमुख कारण यह था कि भारतीय नील उच्च गुणवत्तापूर्ण होता था। जिससे कपड़ों में काफी चमक आ जाती थी। साथ ही यह कम मात्रा में ही युरोप तक पहुँच पाता था।

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