Ncert Class 10 इतिहास Chapter 1: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Solutions

पाठ - 1 : यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

संक्षेप में लिखें

1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें

(क) ज्युसेपे मेत्सिनी
उ. ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का एक महान क्रांतिकारी था। उनका जन्म 1807 ई. में जेनोआ शहर में हुआ था। वह निरंकुश राजतंत्र का विरोधी एवं उदार लोकतंत्र का समर्थक था। उसने 1830 के दशक में एक सुविचारित कार्यक्रम प्रस्तुत किया था जिसके लिए उसने यंग इटली और यंग यूरोप नाम के दो गुप्त संगठन बनाए थे। उनका मानना था कि ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई है।

(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर
उ. काउंट कैमिलो दे कावूर न तो कांतिकारी था और न ही जनतंत्र में विश्वास रखता था। उसने मुख्यमंत्री के रूप में इटली के एकीकरण आँदोलन का नेतृत्व किया तथा कूटनीति और प्रत्यक्ष युद्ध के माध्यम से वह इटली का एकीकरण करने में सफल हुआ।

(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
उ. 15वीं शताब्दी से युनान ऑटोमन सम्राज्य का हिस्सा था। युरोप से आने वाले क्रांतिकारी विचारों से प्रेरणा पाकर 1821 ई. में युनानियों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया। उस समय युनान को पश्चिमी यूरोप का भी समर्थन प्राप्त हुआ। साहित्यकारों ने युनान को यूरोपीय सभ्यता का पालनकर्ता बताया तथा युनानी संस्कृति का महिमामंडन किया। इस प्रकार युनान मुस्लिम सम्राज्य के विरूद्ध संघर्ष करने के लिए तैयार हो गया। अंततः एक लंबे संघर्ष के बाद 1832 ई. में कुस्तुनतुनिया की संधि के द्वारा युनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।

(घ) फ्रैंकफर्ट संसद
उ. 18 मई 1848 ई. के दिन जर्मनी में 830 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक सजे-धजे जुलूस में जाकर फैंकफर्ट संसद में स्थान ग्रहण किया। यह संसद सेंट पॉल चर्च में रखी गई थी जहाँ जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया गया था। संसद में मध्य वर्ग के लोगों की संख्या अधिक था, जिन्होंने मजदूरों और कारीगरों की माँगों का विरोध किया जिससे वे उनका समर्थन खो दिए। अंत में सैनिको को बुलाया गया और एसेम्बली भंग होने पर मजबूर हो गई।

(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका
उ. राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। फिर भी उदारवादी आँदोलन के अंदर महिलाओं को राजनीतिक अधिकार देने का मुद्दा विवादास्पद था। महिलाओं ने अपने राजनीतिक संगठन स्थापित किए, अखबार शुरु किए तथा राजनीतिक बैठकों में भाग लेना प्रारंभ कर दिया। इसका यह परिणाम हुआ कि महिला अधिकारों के प्रति उदारवादियों तथा शासकों के विचारों में परिवर्तन हुआ तथा महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक अधिकारों का मार्ग प्रशस्त हो गया।

2. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए?
उ. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फांसीसी क्रांतिकारियों ने निम्नलिखित कदम उठाए:

  1. सबसे पहले पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया।
  2. एक नया फांसीसी झंडा तिरंगा चुना गया जिसने पहले के राष्ट्रध्वज की जगह ले ली।
  3. सक्रिय नागरिकों द्वारा चुनी गई एक सभा का गठन किया गया जिसका नाम नेशनल एसेम्बली रखा गया।
  4. राष्ट्र के नाम पर नई स्तुतियाँ रची गई, शपथें ली गई और शहीदों कर गुणगान हुआ।
  5. एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिसने सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए।
  6. आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिया गया और नाप-तौल की एक समान व्यवस्था लागू की गई।
  7. अलग-अलग बोलियों के स्थान पर पेरिस में बोली जाने वाली फ्रेंच भाषा को प्रोत्साहित किया गया।

3. मारीआन और जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व था?
उ. फांस में राष्ट्र के प्रतीक के रूप में लोकप्रिय ईसाई नाम मारीआन दिया गया। उसे लाल टोपी, तिरंगा और कलगी के साथ दिखाया गया और उसकी प्रतिमा सार्वजनिक चौराहों पर लगाई गई ताकि लोगों को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे। - इसी प्रकार जर्मनी में, जर्मन राष्ट्र के प्रतीक के रूप में जर्मेनिया को रूपक माना गया। उसे बलूत वृक्ष के पत्तों के मुकुट से सजाया गया क्योंकि जर्मनी में बलूत को वीरता का प्रतीक माना जाता है।
      जिस तरह से मारिआन और जर्मेनिया को चित्रित किया गया उसका व्यापक महत्व था। मारीआन की प्रतिमा को स्वतंत्रता, एकता और न्याय का प्रतीक माना गया। इससे जनता में इन उदार राजनीतिक भावनाओं का संचार हुआ। इसी प्रकार जर्मेनिया का चित्र स्वतंत्रता, शक्ति, बहादूरी, शान्ति तथा एक नए युग के सूत्रपात का प्रतीक था। जर्मनी की जनता को इससे राष्ट्र के गौरव का बोध हुआ।

4. जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।
उ. जर्मन संघ के उदारवादी मध्य वर्ग 1848 ई. में फ्रैंकफर्ट संसद में मिले। उनका उद्देश्य था, जर्मनी को एक राष्ट्र बनाना। लेकिन उनकी योजना असफल हो गई। इस योजना को राजशाही और फौज की ताकत ने मिलकर दबा दिया। प्रशा के मुख्यमंत्री ऑटोमन बिस्मार्क ने जर्मन संघ के एकीकरण के लिए आँदोलन का नेतृत्व किया। सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्धों में प्रशा की जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई। जनवरी 1871 में वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलयम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।

5. अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए?
उ.अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने निम्नलिखित बदलाव किए:

  1. जन्म पर आधारित विशेष अधिकारों को समाप्त का दिया और कानून के समक्ष सबकी बराबरी के नियम को लागू किया।
  2. सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया गया।
  3. प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया गया, सामंती व्यवस्था को खत्म किया गया और किसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शूल्कों से मुक्ति दिलाई गई।
  4. शहरों में कारीगरों के श्रेणी-संघ के विभिन्न नियंत्रकों को समाप्त कर दिया गया।
  5. यातायात और संचार व्यवस्था में सुधार किया गया।
  6. मानक नापतौल के पैमाने चलाए गए और एक राष्ट्रीय मुद्रा चलाई गई।

चर्चा करें

1. उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढावा दिया?
उ. उदारवादियों की 1848 की क्रांति का मतलब था कि वे स्वतंत्र राष्ट्र राज्य की स्थापना करना चाहते थे, जहाँ क्रांति की स्वतंत्रता और सभी लोगों के लिए समान कानून और स्वतंत्रता हो।

राजनीतिक विचारः

  1. निरंकुश राजतंत्र तथा पादरी एवं कुलीन वर्ग के लोगों के विशेषाधिकारों की समाप्ति।
  2. मताधिकार पर आधारित संसदीय शासन व्यवस्था।
सामाजिक विचारः
  1. समाज में स्वतंत्रता की भावना का विचार।
  2. राजा नहीं बल्कि राष्ट्र राज्य के प्रति भक्ति का प्रचार-प्रसार।
आर्थिक विचारः
  1. उदारवादी बाजारों की व्यवस्था।
  2. जनता पर करों के बोझ में कमी।

2. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें।
उ. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। कला, काव्य और संगीत ने राष्ट्रवाद की भावनाओं को गढ़ने और व्यक्त करने में सहयोग दिया। सच्ची जर्मनी संस्कृति वहाँ के लोगों में निहित है। लोकगीत, जनकाव्य व लोकनृत्य इस का हिस्सा है। भाषा का प्रभाव राष्ट्रीय भावनाओं में देखने के लिए रूसी भाषा को पोलैंड पर थोपना था।

3. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए।
उ. उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र का विकास विभिन्न देशों में हुआ। भारत में सम्राज्यवादी शक्तियों ने वहाँ के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक ढाँचों को नष्ट कर दिया। यहाँ अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया। वहीं वियतनाम में फांसीसी भाषा की वृद्धि के लिए कई स्कूल खोले गए। इन दोनों प्रयत्नों का प्रतिफल राष्ट्रवाद के रूप में वहाँ विकसित हुआ।

4. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था?
उ. ब्रिटेन को राष्ट्र-राज्य का मॉडल माना जाता है। यह एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम था। ब्रिटेन अपनी जातीय पहचान के लिए जाने जाते हैं। एक लंबे संघर्ष और टकराव के बाद 1688 ई. में ब्रिटिश संसद ने राजतंत्र से सत्ता छिन ली थी। तथा राष्ट्र-राज्य के निर्माण में यूनाइटेड किंग्डम और ग्रेट ब्रिटेन सामने आया। जबकि अन्य यूरोपीय देशों में इसका उल्टा वहाँ लंबी कांतियाँ हुई थी। इस प्रकार ब्रिटेन में राष्ट्रवाद के इतिहास शेष यूरोप की तुलना में भिन्न था।

5. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा?
उ. निम्नलिखित कारणों से बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव पनपाः

  1. बाल्कन प्रदेशों में अनेक जातीय समूह निवास करते थे।
  2. बाल्कन प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा ऑटोमन सम्राज्य के नियंत्रण में था जो अपने पतन के कगार पर था।
  3. स्लाव- बाल्कन के जातीय समूह भी उदारवादी और राष्ट्रवादी विचारों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकें। अतः ये सभी जातीय समूह राष्ट्र-राज्य की माँग करने लगे।
  4. बाल्कन राज्य एक-दूसरे से भारी ईर्ष्या करते थे और प्रत्येक राज्य अपने लिए ज्यादा-से-ज्यादा इलाका हथियाना चाहते थे।
  5. रूस, जर्मनी, इंग्लैंड और आस्ट्रो-हंगरी की हर ताकत बाल्कन पर अन्य शक्तियों की पकड़ को कमजोर करके क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहती थी।

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