Ncert Class 10 इतिहास Chapter 2: इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन Solutions

पाठ – 2 : इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन

संक्षेप में लिखें

1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें

(क) उपनिवेशकारों के 'सभ्यता मिशन' का क्या मतलब था?
उ. यूरोपीय उपनिवेशकार स्वयं को सभ्य तथा उपनिवेशों को असभ्य तथा पिछड़ा हुआ मानते थे। वे यह भी समझते थे कि असभ्य तथा पिछड़ों तक सभ्यता की रोशनी पहुँचाना उनका दायित्व है। अतः उन्होंने उपनिवेशों की स्थापना और आधुनिकता के प्रसार को अपना 'सभ्यता मिशन' घोषित किया। वास्तव में इसका आर्थिक पहलू अधिक था। जब उपनिवेशों का विकास होगा तो लोगों का जीवन स्तर बेहत्तर होगा। वे अधिक वस्तुएँ खरीदेंगे, जिससे उपनिवेशकारों को आर्थिक लाभ होगा।

(ख) हुइन फू सो।
उ. हुइन फू सो होआ-हाओ आँदोलन का संस्थापक था। वह जादू-टोना और गरीबों का मदद करते थे। फ्रांसीसियों ने हुइन फू सो के आंदोलन को कुचलने के कई प्रयास किए | उन्होंने हुइन फू सो को पागल घोषित कर दिया तथा उन्हें पागलखाने में डाल दिया। लेकिन हुइन फू सो को पागल घोषित करने का काम जिस डॉक्टर को दिया गया था वही उसका अनुयायी बन गया। आखिरकार 1941 ई. में फांसीसी डॉक्टरों ने भी मान लिया कि हुइन फू सो पागल नहीं है। उसके बाद फांसीसी सरकार ने हुइन फू सो को वियतनाम से निकालकर लायोस भेज दिया तथा उसके अनुयायियों को यातना- शिविर में डाल दिया।

2. निम्नलिखित की व्याख्या करें:

(क) वियतनाम के केवल एक तिहाई विद्यार्थी ही स्कूली पढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी कर पाते थे।
उ. निम्नलिखित कारणों से वियतनाम के केवल एक-तिहाई विद्यार्थी ही स्कूली पढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी कर पाते थे:

  1. वियतनाम में शिक्षा काफी महँगी थी। अतः केवल धनी वर्ग ही शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम थे। इसके साथ ही शिक्षा का माध्यम भी फ्रांसीसी भाषा थी जो सामान्य लोगों के लिए जटिल था।
  2. बहुत अधिक संख्या में वियतनामी छात्रों को परीक्षाओं में फेल कर दिया जाता था, ताकि वे फांसीसियों के लिए सुरक्षित अच्छी नौकरियों के लिए योग्यता प्राप्त न कर सके।
  3. फांसीसी वियतनाम में आधुनिक शिक्षा का अधिक विकास नहीं करना चाहते थे, क्योंकि उन्हें डर था कि शिक्षित वर्ग औपनिवेशिक शासन का विरोध कर सकते हैं।

(ख) फ़ासीसियों ने मेकाँग डेल्टा क्षेत्र में नहरें बनवाना और जमीन को सुखाना आरंभ किया।
उ. उपनिवेशकार यह मानते थे कि उपनिवेशों का आर्थिक विकास आवश्यक है, क्योंकि जब उपनिवेशों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तो लोगों की जीवन स्तर उच्च होगा तथा वे अधिक से अधिक वस्तुएँ खरीदेंगे। इससे निश्चित रूप से फासीसियों को लाभ होगा। मेकाँग डेल्टा क्षेत्र संसार का सबसे प्रसिद्ध चावल उत्पादक क्षेत्र था। अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए फासीसियों ने कृषि के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर नहरों का निर्माण किया तथा जल निकासी या जमीनों को सुखाना शुरु कर दिया। इसके परिणामस्वरूप वियतनाम में चावल के उत्पादन में वृद्धि हुई तथा वियतनाम दुनिया में चावल का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश बन गया।

(ग) सरकार ने आदेश दिया कि साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल उस लड़की को वापस कक्षा में ले, जिसे स्कूल से निकाल दिया गया था।
उ. 1926 ई. में साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल में उस समय भारी विवाद खड़ा हो गया जब अगली सीट पर बैठी एक वियतनामी लड़की को पिछले कतार में बैठने का आदेश दिया गया क्योंकि अगली सीट पर एक फांसीसी लड़की को बैठाना था। वियतनामी लड़की ने जब पिछली कतार में बैठने से मना कर दिया तो उसे स्कूल से निकाल दिया गया। यही नहीं, जब अन्य विद्याथियों ने इस बात का विरोध किया तो उन्हें भी स्कूल से निकाल दिया गया। इसके परिणामस्वरूप विवाद ने खुले आँदोलन का रूप ले लिया। जब हालत बेकाबू होने लगा तो सरकार ने आदेश दिया कि उस लड़की को वापस स्कूल में लिया जाए, जिसे स्कूल से निकाल दिया गया था।

(घ) हनोई के आधुनिक, नवनिर्मित इलाकों में चुहे अधिक थे।
उ. वियतनाम के हनोई शहर में फांसीसियों के आबादी वाले क्षेत्र को खुबसूरत और साफ-सुथरा शहर बनाया गया। वहाँ चौड़ी सड़के बनाई गई और निकासी के लिए बड़े-बड़े सीवरों का निर्माण किया गया। देशी बस्ती में ऐसी कोई आधुनिक सुविधाएँ नहीं थी। पुराने शहर का सारा कचरा और गंदा पानी सीधे नदी में बहा दिया जाता था। पुराने शहरी इलाके पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। भारी बरसात या बाढ़ के समय तो सारी गंदगी सड़कों पर ही तैरने लगती थी। हनोई में निकासी के लिए बनाए गए सीवरों में चुहे पनपने लगे और धीरे-धीरे बढ़ने लगे। ये चुहे इन्हीं सीवरों के रास्ते पूरे शहर में घुमने लगे थे। जिसके कारण 1903 ई. में हनोई शहर में प्लैग की महामारी फैल गई।

3. टोंकिन फ़ी स्कूल की स्थापना के पीछे कौन से विचार थे? वियतनाम में औपनिवेशिक विचारों के लिहाज से यह उदाहरण कितना सटीक है?
उ. वियतनाम में पश्चिमी शिक्षा के प्रसार के उद्देश्य से 1907 ई. में टोंकिन फी स्कूल खोला गया। इस स्कूल में अन्य विषयों के साथ-साथ विज्ञान, स्वच्छता एवं फांसीसी भाषा की भी शिक्षा दी जाती थी। इनकी कक्षाएँ शाम को लगती थी तथा उनके लिए अलग से फीस ली जाती थी। टोंकिन फी स्कूल की स्थापना का उद्देश्य न सिर्फ आधुनिक शिक्षा का प्रसार करना था बल्कि वियतनामियों को पश्चिमी सभ्यता से परिचित कराना भी था। स्कूल अपने छात्रों को पश्चिमी जीवन-शैली अपनाने को भी प्रेरित करता था। वियतनामियों को छोटे बाल रखने की सलाह दी जाती थी, जबकि परंपरागत रूप से वियतनामी लंबे बाल रखते थे। औपनिवेशिक विचारों के लिहाज से फांसीसियों द्वारा उठाए गए उपर्युक्त कदम का उद्देश्य वियतनामियों पर फासीसी संस्कृति को थोपना था।

4. वियतनाम के बारे में फान यू त्रिन्ह का उद्देश्य क्या था? फान बोई चाऊ और उनके विचारों में क्या भिन्नता थी?
उ. फान यू त्रिन्ह एक राष्ट्रवादी नेता थे। पश्चिम के लोकतांत्रिक आदर्शों से प्रभावित त्रिन्ह पश्चिमी सभ्यता को पूरी तरह खारिज करने के खिलाफ थे। वह वियतनाम में लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना करना चाहते थे। वे फ्रांसीसी कान्तिकारी आदर्शों से काफी प्रभावित थे।

फान बोई चाऊ और फान यू त्रिन्ह के विचारों में निम्नलिखित भिन्नताएँ थीः

  1. फान बोई चाऊ पश्चिमी मान्यताओं को पूरी तरह खारिज करने के पक्ष में थे, जबकि फान यू त्रिन्ह पश्चिमी मान्यताओं के आदर्श रूप जैसे स्वतंत्रता, समानता, लोकतंत्र, संविधान आदि को अपनाने के पक्ष में थे।
  2. फान बोई चाऊ राजतंत्र के समर्थक थे, जबकि फान यू त्रिन्ह राजतंत्र के कट्टर विरोधी थे।
  3. फान बोई चाऊ वियतनाम से फांसीसियों को निकालने के लिए चीनी राजशाही की मदद लेना चाहते थे, जबकि फान यू त्रिन्ह को यह मंजूर नहीं था।

चर्चा करें

1. इस अध्याय में आपने जो पढ़ा है, उसके हवाले से वियतनाम की संस्कृति और जीवन पर चीन के प्रभावों की चर्चा करें।
उ. वियतनाम की संस्कृति और जीवन पर कई प्रकार से चीन का प्रभाव पड़ाः

  1. वियतनाम पारंभ में शक्तिशाली चीनी सम्राज्य का अंग था। स्वतंत्र देश बनने के बाद भी वियतनाम में इंडो-चाइना के लोगों पर चीनी भाषा, विचार एवं संस्कृति का र गहरा प्रभाव था।
  2. वियतनाम चीन के सिल्क-मार्ग से जुड़ा हुआ था जिसके कारण दोनों देशों में आपसी संपर्क तथा विचारों का आदान-प्रदान होता रहता था।
  3. वियतनाम का अभिजात वर्ग चीनी विचारक कम्फुसियस के विचारों से काफी प्रभावित था। आगे चलकर चीनी साम्यवाद का भी प्रभाव वियतनाम पर पड़ा।

2. वियतनाम में उपनिवेशवाद – विरोधी भावनाओं के विकास में धार्मिक संगठनों की भूमिका क्या थी?
उ. फांस, वियतनाम पर न सिर्फ राजनीतिक बल्कि सांस्कृतिक आधिपत्य भी जमाना चाहता था। इसी उद्देश्य से उसने वियतनाम में ईसाई धर्म का प्रसार काफी जोर-शोर से किया। वियतनाम में ईसाई धर्म के प्रसार को उपनिवेशवाद को मजबूत करने के साधन के रूप में देखा गया तथा इसका विरोध किया गया। अनेक धार्मिक संगठनों ने फांस के इस प्रयास के विरोध में सशक्त आँदोलन को प्रारंभ किया जिसमें 1868 ई. का स्कॉलर्स रिवोल्ट तथा 1939 ई. का होआ-हाओ आँदोलन प्रमुख था। इन आँदोलनों ने पश्चिमी शक्तियों के प्रभाव तथा उपस्थिति के खिलाफ जागृति फैलाने का प्रयास किया। यद्यपि इन आँदोलनों को सरकार ने कुचल दिया तथा इनका कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया, फिर भी पश्चिमी उपनिवेशवाद के विरूद्ध जन-जागृति फैलाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

3. वियतनाम युद्ध में अमेरिकी हिस्सेदारी के कारणों की व्याख्या करें। अमेरिका के इस कृत्य से अमेरिका में जीवन पर क्या असर पड़े?
उ. वियतनाम युद्ध में अमेरिका की हिस्सेदारी का प्रमुख कारण यह था कि कहीं पूरे वियतनाम पर कम्युनिस्टों का कब्जा न हो जाए, इस भय से अमेरिका ने अपनी फौजें और गोला बारूद भेज दिए और युद्ध आरंभ हो गया।

अमेरिकी जन-जीवन पर प्रभाव:

  1. युवाओं को सेना में भर्ती किया जाने लगा। जब युवा सैनिक मरने लगे, तो लोगों का गुस्सा काफी बढ़ गया।
  2. मोर्चे पर भेजे जाने वालों में ज्यादातर अल्पसंख्यक और गरीब मेहनतकशों के बच्चे थे। अभिजात्य वर्ग को छोड़ दिया गया था। सरकार की इस नीति की आलोचना होने लगी।
  3. युद्धों को सीधे टी.वी., समाचारपत्रों में दिखाया जाता था। इससे वियतनाम में अमेरिकी जुल्म और बर्बरता के लिए अमेरिका को अंतर्राष्ट्रीय निन्दा झेलनी पड़ी।

4. अमेरिका के खिलाफ वियतनामी युद्ध का निम्नलिखित के दृष्टिकोण से मूल्यांकन कीजिए:

(क) हो-ची-मिन्ह भूलभुलैया मार्ग पर माल ढोने वाला कुली।
उ. हो-ची-मिन्ह भूलभुलैया मार्ग सड़कों और फुटपाथों का एक विशाल नेटवर्क था। इस मार्ग पर कुछ इलाकों में माल ढुलाई के लिए ट्रकों का भी इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन यह काम ज्यादातर कुली करते थे जिसमें अधिकत्तर औरतें होती थी। इस तरह के कुली औरत-मर्द लगभग 25 किलो सामान पीठ पर या लगभग 70 किलो सामान साइकिलों पर लेकिन निकल जाते थे।

(ख) एक महिला सिपाही।
उ. 1960 के दशक के पत्र-पत्रिकाओं में दुश्मन से लोहा लेती योद्धा औरतों की तस्वीरें बड़ी संख्या में छपने लगी। इन तस्वीरों में स्थानीय प्रहरी दस्ते की औरतों को हवाई जहाज को मार गिराते हुए दर्शाया जाता था। उनको युवा, बहादुर और समर्पित योद्धाओं के रूप में चित्रित किया जाता था। इस बारे में कहानियाँ छपने लगी थी कि सेना में शामिल होने और राइफल उठाने के मौके मिलने से वे कितना खुशी महसूस करती थी। कुछ कहानियों में यह भी बताया जाता था कि किस अप्रतिम वीरता का परिचय देते हुए किसी महिला सैनिक ने अकेले ही शत्रुओं को मार गिराया। न्गूयेन शी शुआन नामक महिला के बारे में बताया जाता था कि उसके पास केवल 20 गोलियाँ थी लेकिन इन्हीं के सहारे उसने एक जेट विमान को मार गिराया था।

5. वियतनाम में सम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष में महिलाओं की क्या भूमिका थी? इसकी तुलना भारतीय राष्ट्रवादी संघर्ष में महिलाओं की भूमिका से कीजिए।
उ. वियतनाम में सम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष में महिलाओं की निम्नलिखित भूमिका थीः

  1. जैसे-जैसे वियतनाम में राष्ट्रवादी आंदोलन बढ़ता गया, साहित्यकारी और राजनीतिक विचारक विद्रोहों में हिस्सा लेने वाली महिलाओं को आदर्श रूप में प्रस्तुत करने लगे। ट्रंग बहनों त्रियू अयू जैसी वीर वियतनामी औरतों की प्राचीन दंतकथाओं ने 20वीं सदी में अनेक वियतनामी राष्ट्रवादियों को प्रोत्साहित किया।
  2. जब पुरुष सैनिकों की शहादत बढ़ने लगी तो वियतनामी औरतों ने स्वयं को पुलिस, सेना, कुली, मालवाहक और प्रोफेशनलों के रूप में भर्ती किया।
  3. वियतनामी योद्धा औरतों ने अमेरिकी सैनिकों से लोहा लिया। उन्होंने जेट विमान गिराए और सैन्य क्षेत्र में युद्ध लड़े। वे एक हाथ में राइफल और दूसरे हाथ में हथौड़े लिए रहती थी।
इसी प्रकार, भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता संघर्ष में भारतीय औरतों का भी महत्वपूर्ण योगदान था। भारतीय औरतों ने गाँधीजी के नेतृत्व में सत्याग्रह एवं स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ बहुत-सी लड़ाइयाँ लड़ी।

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