Ncert Class 10 इतिहास Chapter 3: भारत में राष्ट्रवाद Solutions

पाठ - 3 : भारत में राष्ट्रवाद

संक्षेप में लिखें

1. व्याख्या करें

(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी।
उ. राष्ट्र की भावना के जागरण से ही उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन जुड़े हुए थे। उपनिवेशवादी शक्तियों ने अनेक राष्ट्रों को अपने आधीन कर रखा था। इन शासनकर्ताओं का दमन चक सभी उपनिवेशों के लोगों पर समान रूप से चल रहा था। जिस से विरोधी ताकतों को बल मिला व एकता का सूत्र बना। यूरोप के राष्ट्रवाद ने यहाँ भी प्रभाव डाला।

(ख) पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया।
उ. 1914 से 1918 के बीच प्रथम विश्व युद्ध हुआ था। इस में इंग्लैंड ने भारत को भी झोंक दिया था, जिस से कई प्रकार के कर भारतीयों पर थोप दिये गये ताकि रक्षा व्यय को पूरा किया जा सके। एक ओर महंगाई बढ़ गई, वहीं दूसरी ओर हजारों भारतीय सैनिक मारे गये। जब आक्रोश बढ़ता गया तो आम आदमी राष्ट्रवादी शक्तियों से जुड़ गया। देश को स्वतंत्र करवाना एक लक्ष्य बन गया था।

(ग) भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे।
उ. भारत में ब्रिटिश शासन के हो रहे प्रतिरोधों के खिलाफ ब्रिटेन के इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने 1919 ई. में एक कानून पारित किया, जिसे रॉलट एक्ट के नाम से जाना जाता है। इस कानून के द्वारा सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को दो साल बिना मुकदमा चलाये जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया। इसी कारण भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में थे।

(घ) गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया।
उ. असहयोग आँदोलन का प्रारंभ शहरी शिक्षित एवं मध्यम वर्ग के हिस्सेदारी से हुआ था जहाँ इसका स्वरूप नियंत्रित एवं अहिंसक था। जैसे-जैसे यह आँदोलन देश के भीतरी अथवा ग्रामीण इलाकों में फैला इसका स्वरूप अनियंत्रित एवं हिंसक होता गया। स्वराज के प्रति अति उत्साह ने शांतिपूर्ण असहयोग को हिंसक टकराव में बदल दिया। चौरी-चौरा में उग्र भीड़ ने थाने में आग लगा दी, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी की मौत हो गई। आँदोलन को हिंसा का मार्ग पकड़ते देख गाँधीजी ने इसे वापस लेने का फैसला लिया।

2. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?
उ. सत्याग्रह के विचार में सत्य की ताकत पर आग्रह और सत्य की खोज पर बल दिया जाता था। इसका मतलब यह था अगर आपका उद्देश्य सच्चा है, यदि आपका संघर्ष अन्याय के विरूद्ध है तो उत्पीड़क से मुकाबला करने कि लिए आपको किसी शारीरिक बल की जरूरत नहीं है। प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। इसके लिए दमनकारी दुश्मन की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए।

3. निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें:

(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड
उ. 13 अप्रैल 1919 के दिन अमृतसर में बहुत सारे गाँव वाले एक मेले में शिरकत करने के लिए जलियाँवाला बाग मैदान में जमा हुए थे। यह मैदान चारों ओर से बन्द था। शहर से बाहर होने के कारण वहाँ जुटे लोगों को यह मालूम नहीं था कि इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है। जनरल डायर हथियारबंद सैनिकों के साथ वहाँ पहुँचा और जाते ही उसने मैदान से बाहर निकलने के सारे मार्गों को बंद कर दिया। इसके बाद उसके सिपाहियों ने भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चला दी, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए।

(ख) साइमन कमीशन
उ. 8 नवम्बर 1927 ई. को सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक साइमन कमीशन का गठन किया गया जिसका मुख्य कार्य भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना था और उसके बारे में सुझाव देने थे। इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था सारे अंग्रेज थे। साइमन कमीशन के भारत में 1928 में बंबई पहुँचने पर 'साइमन कमीशन वापस जाओ' के नारो से स्वागत किया गया। कांग्रेस और मुस्लिम लीग, सभी पार्टियों ने प्रदर्शनों में भाग लिया।

4. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।
उ. भारत माता तथा जर्मेनिया दोनों की छवि एक राष्ट्र की पहचान के रूप में प्रस्तुत की गई है। भारत माता भारत तथा जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र की प्रतीक है। भारत माता की विख्यात छवि को स्वदेशी आंदोलन की प्रेरणा से अवनींद्रनाथ टैगोर ने चित्रित किया था। इसमें भारत माता को एक सन्यासिनी के रूप में दर्शाया गया है। वह शांत, गंभीर, दैवी तथा आध्यात्मिक गुणों से सम्पन्न दिखाई देती है। भारत माता की छवि को एक नए रूपय में चित्रित किया गया है। इसमें भारत माता को हाथ में त्रिशूल लिए दिखाया गया है। वह हाथी तथा शेर के बीच खड़ी है। दोनों शक्ति और सत्ता का प्रतीक है।
     इसी प्रकार जर्मेनिया की छवि को चित्रकार फिलिप वेट ने चित्रित किया है। इसमें वह बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहने हुए है क्योंकि जर्मनी का बलूत वीरता का प्रतीक है। यह दोनों छवियाँ अपने-अपने देशवासियों के लिए अगाध श्रद्धा की पात्र हैं।

चर्चा करें

1. 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुन कर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए यह दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए।
उ. इस आंदोलन में शामिल होने वाले सामाजिक समूह थेः

  • मध्य वर्ग
  • किसान वर्ग
  • पट्टे पर भूमि जोतने वाला किसान वर्ग
  • श्रमिक वर्ग
    इन सभी वर्गों की आशा व संघर्ष अपने ही तरीके का था। इसलिए ये सब इस आंदोलन से जुड़ गए।

2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।
उ. नमक एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसे सभी वर्ग एक समान रूप से इस्तेमाल करते हैं। जब इस पर कर लगाया गया तो इस का विरोध स्वाभाविक हो गया था जो उपनिवेशवाद के खिलाफ एक असरदार प्रतीक बन गया था।

3. कल्पना कीजिए कि आप सिविल नाफरमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता। ।
उ. महिलाओं की स्वतंत्रता आंदोलनों में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसका उदाहरण साफ है सिविल नाफरमानी आंदोलन के उदाहरण से

4. राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे?
उ. पृथक चुनाव क्षेत्र देने की योजना ब्रिटिश नीति 'डिवाइड एंड रूल' का हिस्सा था। जिस से भारतीयों की एकता भंग हो जाए और उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलन कमजोर पड़ जाये। इसलिए राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर बँटे हुए थे।

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