Jcert Class 7 भाषा मंजरी Chapter 12 फिर-फिर उठती माटी की लौ Solutions
पाठ 12: फिर-फिर उठती है माटी की लौ
1. कुंभकारों की नई पीढ़ियां कुंभकारी के पेशे को क्यों नहीं अपनाना चाहती?
उ. कुंभकारों की नई पीढ़ियों कुंभकारी के पेशे को इसलिए नहीं अपनाना चाहती क्योंकि इसमें मुनाफा कम और मेहनत ज्यादा है।
2. "माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौदूँगी तोय।।"
उपर्युक्त पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उ. उपर्युक्त पंक्तियों का आशय है कि माटी कुम्हार से कहती है कि तुम मुझे क्या रौंदते हो, एक दिन ऐसा आएगा जब तुम्हारा विनाश हो जाएगा और तुम भी माटी में मिल जाओगे तब मैं तुम्हें रौंदूँगी।
3. कुंभकार ने माटी के साथ कैसा संबंध जोडना चाहा है?
उ. कुंभकार ने माटी के साथ गहरा लगाव और प्रेम का संबंध जोड़ना चाहा है।
4. मिट्टी के बरतनों की कीमतें बहुत ज्यादा क्यों नहीं पाई?
उ . मिट्टी के बरतनों की कीमतें बहुत ज्यादा इसलिए नहीं बढ़ पाई, क्योंकि हम सबके मन में रहता है कि क्या हुआ, यह माटी ही तो है, और माटी तो सभी जगहों पर आसानी से मिल जाता है।
5. लेखक ने माटी से नई-नई वस्तुओं के बनने को शुभ लक्षण क्यों माना है?
उ. लेखक ने माटी से नई-नई वस्तुओं के बनने को शुभ लक्षण इसलिए माना है क्योंकि माटी की आकर्षक, कलात्मक और सजावटी वस्तुएँ और शिल्पकला के अद्भुत नमूने माटी के साथ हमारे गहरे रिश्तों को उजागर करते है।
6. किस कारण लेखक माटी के कुल्हड़ को अन्य चीजों से बेहतर मानता है?
उ. लेखक माटी के कुल्हड़ को अन्य चीजों से बेहतर इसलिए मानता है क्योंकि फेंका हुआ माटी का कुल्हड़ अन्य चीजों की अपेक्षा कम गंदगी पैदा करता है। ज्यादा-से-ज्यादा वह टूट-फूटकर अपने कुछ टुकडे रास्ते में छितरा देता है, जो अंततः माटी में ही मिल जाते हैं।
7. लेखक को अपने मित्र की बेटी की कौन-सी बात पसंद आई और क्यों?
उ. जब लेखक के मित्र की बेटी ने मिट्टी के गमले खरीदते समय कहा कि इनकी कीमतें क्यों कम करा रहे हैं?' यह बात लेखक को पसंद आई, क्योंकि आमतौर पर कुंभकार के हिस्से में सचमुच बहुत थोडी-सी ही राशि आती है।
8. पर्यावरण के दृष्टिकोण से कुल्हड और प्लास्टिक के गिलासों के प्रयोग में कौन-सा उपयुक्त है? तर्क दीजिए।
उ. पर्यावरण के दृष्टिकोण से कुल्हड़ और प्लास्टिक के गिलासों के प्रयोग में कुल्हड ज्यादा उपयुक्त है क्योंकि माटी का कुल्हड़ अन्य चीजों की अपेक्षा कम गंदगी पैदा करता है और अंततः माटी में ही मिल जाता है, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुँचता है।
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