Jcert Class 7 भाषा मंजरी Chapter 18 तोते की शिक्षा Solutions

पाठ 18 : तोते की शिक्षा

पाठ से आगे

1. राजा ने तोते को शिक्षा देना क्यों आवश्यक समझा?
उ. राजा ने तोते को शिक्षा देना इसलिए आवश्यक समझा क्योंकि वह तोता बड़ा मूर्ख था। यह गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था। उछलता-फुदकता और उड़ता था, पर यह नहीं जानता था कि कायदा-कानून किसे कहते हैं।

2. तोते को शिक्षा देने का काम किसको दिया गया और उसकी शिक्षा के लिए क्या-क्या व्यवस्था की गई?
उ. तोते को शिक्षा देने का काम राजा के भानजे को दिया गया और उसकी शिक्षा के लिए बढ़िया-सा सोने के पिंजरे की व्यवस्था की गई।

3. तोते को शिक्षित करने की योजना से किन-किन लोगों ने लाभ उठाया और कैसे?
उ. तोते को शिक्षित करने की योजना से पोथी लिखने वालों, नकलवीसों और मरम्मत करने वालों ने लाभ उठाया। पोथी लिखने वाले पोथी लिख-लिखकर, नकलवीस पोथियों की नकल करके और मरम्मत करने वाले पिंजरे की देखभाल करके लाभ कमाते रहे।

4. "पिंजरे की तो उन्नति हो रही है, पर तोते की खोज-खबर लेनेवाला कोई नहीं है।" ऐसा क्यों कहा गया है?
उ. ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि लोग तोते को नहीं बल्कि तोते के लिए बने सोने के पिंजरे को देखने के लिए आते थे। यहाँ तक कि राजा भी तोते को देखे बिना ही लौट जाते थे।

5. राजा ने तोते की शिक्षा की प्रगति किस रूप में देखी?
उ. राजा ने तोते की शिक्षा की प्रगति रटंत शिक्षा प्रणाली के रूप में देखी जिसमें अंततः तोता मर गया था।

पाठ से आगे

1. तोते की शिक्षा के नाम पर बहुत कुछ किया गया, परंतु उससे तोते की शिक्षा क्यों पूरी नहीं हुई?
उ. हमारी शिक्षा प्रणाली आज महज मजाक की वस्तु बन गई है। तोते की शिक्षा के लिए किया गया सारा उपक्रम व्यर्थ हो गया। परिणामस्वरूप तोते की शिक्षा अधूरी रही।

2. आप कैसे कह सकते हैं कि प्रस्तुत कहानी हमें वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन करने का संदेश देती है?
उ. वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में खर्च एवं रूपरेखा तो बड़ी विस्तृत है, परंतु इससे बेरोजगारों की फौज पैदा हो रही है। आज आवश्यकता है रोजगारपरक शिक्षा की। रटंत शिक्षा सिर्फ बेरोजगारी ही बढ़ाती है।

3. क्या आप तोते को शिक्षा देने का अलग कोई और तरीका बता सकते हैं?
उ. यहाँ तोते की शिक्षा से तात्पर्य छात्रों से है जिन्हें रटंत पद्धति से पढ़ाया जा रहा है। व्यवहारिक एवं रोजगारपरक शिक्षा द्वारा ही विद्यार्थियों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

4. तोते की शिक्षा के रचनाकार श्री रवीन्द्रनाथ ठाकुर हैं। वे राष्ट्रगान के रचनाकार भी हैं। आप राष्ट्रगान को लिखिए।
उ. जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता।
पंजाब, सिंधु, गुजरात, मराठा,
द्राविड़, उत्कल, बंग।
विंध्य, हिमाचल, यमुना, गंगा,
उच्छल जलधि तरंग।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशीष मांगे।
गाहे तव जयगाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे॥

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