Ncert Class 10 विज्ञान Chapter 15: हमारा पर्यावरण Solutions

पाठ - 15 : हमारा र्यावरण

प्रश्न – 1

1. पोषी स्तर क्या ? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बनाइए।

. किसी खाद्य श्रृंखला के विभिन्न चरणों या स्तरों को पोषी स्तर कहते हैं।

खाद्य श्रृंखला का उदाहरण :- घास -> हिरन -> शेर

इस खाद्य श्रृंखला में विभिन्न पोषी स्तर निम्नलिखित हैं :-

1)      प्रथम पोषी स्तर घास है यह उत्पादक है।

2)      द्वितीय पोषी स्तर हिरन है यह प्रथम उपभोक्ता है इसे शाकाहारी भी कहते हैं।

3)      तृतीय पोषी स्तर शेर है यह उच्च मांसाहारी है।

2. पारितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है?

. पारितंत्र में अपमार्जक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये मृत शरीरों का अपने भोजन के लिए उपयोग करते हैं। वे जटिल कार्बन पदार्थों को सरल पदार्थों में बदल देते हैं। पेड़ पौधों के सड़े गले भाग, गाय भैस के गोबर, सड़े गले फल, जैविक कचरा, सब्जियों के छिलके आदि का कुछ समय के अंतराल में अपघटन कर देते हैं। अपमार्जक जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं जो मिट्टी में मिलकर पौधों द्वारा पुनः उपयोग में लाए जाते हैं।

प्रश्न - 2

1. क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय?

. वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रमों से अपघटित हो जाते हैं, जैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं। ये पदार्थ जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न एंजाइमों की की मदद से कुछ समय के अंतराल में सरल अणुओं में परिवर्तित हो जाते हैं।

जबकि अजैव-निम्नीकरणीय पदार्थ सामान्यतः अक्रिय होते हैं तथा लंबे समय तक पर्यावरण में बने रहते हैं और पर्यावरण के अन्य सदस्यों को हानि पहुँचाते हैं, यह पदार्थ जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित नहीं होते, इसलिए ये 'अजैव-निम्नीकरणीय' कहलाते हैं।

2. ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।

. (i) जैव-निम्नीकरणीय पदार्थ; जैसे-घास, फलों के छिलके, आदि से पर्यावरण दूषित होता है। यदि फलों के छिलके जगह-जगह पड़े रहेंगे, तो वह उसी स्थान पर पड़े-पड़े सड़ जाएंगे, जिससे वहाँ का वातावरण दूषित हो जाएगा।

(ii) कुल्हड़, कागज, सूती कपड़ा आदि के प्रयोग से मुहल्ले, सड़कों के आस-पास की नालियों का पानी रुक या एकत्रित हो जाता है, जिस कारण मक्खी, मच्छर उत्पन्न हो जाते हैं तथा अनेक बीमारी फैलने का डर रहता है।

3. ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।

. (i) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ अपघटित होने के कारण पर्यावरण में लंबे समय तक रहते हैं वे उद्योगों में तरह-तरह के रासायनिक पदार्थों से तैयार होते है, जिससे कारण पर्यावरण दूषित होता है।

(ii) वे आहार श्रृंखला में मिलकर जैव आवर्धन उत्पन्न करते हैं और मनुष्यों को हानि पहुंचाते

अभ्यास

1. निम्न में से कौन-से समूहों में केवल जैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं

(a) घास, पुष्प तथा मड़ा

(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टि

(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस

(d) केक, लकड़ी एवं घास

. (a), (c) और (d)

2. निम्न से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं

(a) घास, गेहूँ तथा आम

(b) घास, बकरी तथा मानव

(c) बकरी, गाय तथा हाथी

(d) घास, मछली तथा बकरी

. (b) घास, बकरी तथा मानव

3. निम्न में से कौन पर्यावरण-मित्र व्यवहार कहलाते हैं

(a) बाजार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना

(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट (बल्ब) तथा पंखे का स्विच बंद करना

(c) माँ द्वारा स्कूटर से विद्यालय छोड़ने के बजाय तुम्हारा विद्यालय तक पैदल जाना

(d) उपरोक्त सभी

. (d) उपरोक्त भी

4. क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें)?

. प्रकृति की सभी खाद्य श्रृंखलाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई है। यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दे तो उसके अगले स्तर के जीव भी धीरे धीरे समाप्त होने लगेंगे, इसी प्रकार उन जीवों के एक पहले के स्तर के जीवों की संख्या बढ़ जाएगी और आहार श्रृंखला का संतुलन खराब हो जाएगा।

5. क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है?

. किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों पर अलग अलग है :

1) उत्पादकों को हटाने का प्रभाव: उत्पादकों को हटाने से शाकाहारी जीव भूख से मर जाएंगे और शाकाहारी जीवों के माप्त हो जाने से माँसाहारी जीव खत्म हो जाएंगे।

2) शाकाहारियों को हटाने का प्रभाव: शाकाहारी जीवों के समाप्त हो जाने से मांसाहारी भूख से मर जाएंगे।

3) मांसाहारियों को हटाने का प्रभाव मांसाहारियों को हटा देने से शाकाहारियों की संख्या इतनी अधिक तेजी से बढ़ जाएगी कि क्षेत्र की सभी वनस्पतियाँ समाप्त हो जाएंगी।

4) अपघटकों को हटाने का प्रभाव: अपघटकों को हटा देने से मृतक जीव जंतुओं के ढेर लग जाएंगे। उन के सड़े हुए शरीरों में तरह-तरह के जीवाणुओं के उत्पन्न हो जाने से बीमारियां फैलेगी। और अन्य जीवों की मृत्यु का कारण बनेंगी।

किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव नहीं है।

6. जैविक आवर्धन (Biological magnification) क्या है? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा?

. आहार श्रृंखला में अजैविक रासायनिक पदार्थों का अत्यधिक मात्रा में संचित होना जैव आवर्धन कहताता है। पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भिन्न-भिन्न होगा। इसकी र्वाधि मात्रा मानव में पाई जाती है। यह मात्रा स्तरों में ऊपर की ओर बढ़ती है। जैविक आवर्धन का स्तर पोषी स्तर के सा बढ़ता जाएगा।

7. हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?

. अजैव-निम्नीकरणीय कचरे से निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न होती है:

1) अजैव-निम्नीकरणीय कचरा; जैसे-प्लास्टिक थैलियाँ, डिस्पोजेबल कप आदि से जल का प्रवाह रुक जाता है, जिससे वहाँ का जल-प्रदूषित हो जाता है।

2) कचरे के एकत्रीकरण के कारण अनेक मच्छर, मक्खियाँ आदि उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे बीमारियाँ फैलने का डर होता है।

3) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ; जैसे-पीड़कनाशी व रसायन आदि की सांद्रता | उत्तरोत्तर पोषक तरों पर बढ़ती जाती है, जो स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालती है।

4) अजैव निम्नीकरणीय कचरे; जैसे-प्लास्टिक थैलियाँ आदि जीव-जंतुओं द्वारा खाए जाने से बीमारी होने का डर होता है।

5) अजैव निम्नीकरणीय कचरा, जो हम उत्पन्न करते हैं किसी स्थान पर सड़ने से उसमें दुर्गंध आदि उत्पन्न हो जाती है, जिससे आस-पास का वातावरण दूषित हो जाता है।

8. यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा?

. यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव-निम्नीकरणीय होगा, तो इसका हमारे पर्यावरण पर कम हानिकारक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि जैव निम्नीकरणीय कचरा; जैसेकागज आदि को हम पुनः पघटित करके प्रयोग में ला सकते हैं, ये जैव अपघटित दार्थ ल्दी वायुमंडलीय चक्रीकरण में उपयोग हो जाएंगे।

9. ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है। इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

. ओजोन (O3) परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरणों से हमारी रक्षा करती है लेकिन अब ओजोन परत में छेद होने के कारण सूर्य से आने वाली पराबैगनी (UV) किरणें सीधे पृथ्वी तक पहुँचने लगी है, जिस कारण सभी जीव जंतु पेड़-पौधों और मनुष्यों पर इसका हानिकारक प्रभाव होने लगा है। क्लोरोफ्लोरो कार्बन जिनका प्रयोग रेफ्रिजरेटर और अग्निशामक में होता है, ओजोन को क्षति पहुंचा रहे है। इस क्षति को रोकने के लिए हमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन और रासायनिक पदार्थों का कम से कम उपयोग करना होगा।

इस क्षति को सीमित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं :

1) सुपर सौनिक विमानों का कम से कम प्रयोग

2) नाभिकीय विस्फोटों पर नियंत्रण

3) क्लोरोफ्लोरोकार्बन कार्बन के प्रयोग को सीमि करना।

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